सुनो बहिनी, सुनव दीदी,
नवां जमाना के विचार मा।
धरती दाई ला सजाबोन
ऐसों के तीजा-तिहार मा॥
हरियर लुगरा के संगे-संग,
दाई के अचरा ला हरियाबो।
रुख-रई नवां-नवां हम
लगाबोन सबो खेत-खार मा॥
जड़ी-बूटी बन अऊ तुलसा
रतनजोत खेत के सियार मा।
डीजल, तेल घलो मिलय अब
पम्प, ट्रेक्टर अऊ कार मा॥
कोनहो झन राहय ठेल हा,
राहेर, चना बोवव मेड़ पार मा।
गरीबी हर, अब दुरिहा भागे
भरे कोठी के तियार मा॥
राजाराम रसिक
रसिक वाटिका, फेस 3, वी.आई.पी.नगर, रिसाली, भिलाई. मो. 09329364014